अब आप मानो या ना मानो
वो बन गये मेरे मेहमान
सच, सिकुड़ गया ये जहान
न थी जान, ना मैं राखी उसकी पहचान !
सुबह जगने से पहले
रात सोने के बाद
भी रहती है उसकी याद !
ऐसा तो हो नहीं सकता
शायद उनको भी
रात सोने से पहले
सुबह जगने के बाद
Ati hogi hamari याद
मैं janu ना वो
HINDI IS A GREAT LANGUAGE IN WHOLE WORLD
आप हिंदी मे लिख कर देखे बड़ा मजा आएगा All poems are Copyright © Deepak Kumar Verma 9214012330
मंगलवार, 12 अक्टूबर 2010
रविवार, 15 अगस्त 2010
कविता एक दोस्त के लिए ---------------- (किरण के लिए )
अब ये कविता उस दोस्त के नाम
जिसको अब तो मेने
न देखा, न जाना, सिर्फ सुना है .
फिर भी तारीफ पन्नो पर लिखने का
उसकी तस्वीर बनाने को
मन किया करता है मेरा !
फिर भी समझ नहीं आती
किस - किस की तारीफ करू उसकी
कागज नहीं मिलेगा, इतनी तारीफ है उसकी !
अगर मै अँधेरे का दीपक तो
मेरी पहली " किरण " है वो
आज मै कवी तो , कविता है वो मेरी !
अब क्या तारीफ करू मै तेरी
ऐसा तो अभी तक
शब्द नहीं डिक्सनरी में मेरी !
खुदा सलामत रखें ......
गुरु का रहे आशीर्वाद सदा
भगवान से करता हु प्राथना
खुश रहें तू हमेशा !!!!
हम दोनों आस पास रहे हमेशा .....................................
आपका दोस्त
दीपक कुमार वर्मा ((9214012330))
जिसको अब तो मेने
न देखा, न जाना, सिर्फ सुना है .
फिर भी तारीफ पन्नो पर लिखने का
उसकी तस्वीर बनाने को
मन किया करता है मेरा !
फिर भी समझ नहीं आती
किस - किस की तारीफ करू उसकी
कागज नहीं मिलेगा, इतनी तारीफ है उसकी !
अगर मै अँधेरे का दीपक तो
मेरी पहली " किरण " है वो
आज मै कवी तो , कविता है वो मेरी !
अब क्या तारीफ करू मै तेरी
ऐसा तो अभी तक
शब्द नहीं डिक्सनरी में मेरी !
खुदा सलामत रखें ......
गुरु का रहे आशीर्वाद सदा
भगवान से करता हु प्राथना
खुश रहें तू हमेशा !!!!
हम दोनों आस पास रहे हमेशा .....................................
आपका दोस्त
दीपक कुमार वर्मा ((9214012330))
रविवार, 20 जून 2010
फादर्स डे पर मेरे पापा के लिए विशेष कविता और यादें
फादर्स डे पर मेरे पापा के लिए विशेष कविता और यादें
पापा मैं आपको आज बहुत याद कर रहा हु, पर ये सब आपको बता नहीं पता क्योकि आप मुझे डांटने लगोगे !
आप हमेशा चाहते हैं की मैं एक पड़-लिख कर अच्छा इन्सान बनू ...................................
मैं आप से वादा करता हु की आपकी चाहत जरुर पूरी करूगां.........
--------------------------
मेरे जन्म से गिन - गिन दिन निकले
कब कहूँ मैं पापा तुम्हें ?
हजारो सपने है तुमने पाले
बार बार कहा करते थे
बोल बेटा "पा------ पा"
मम्मी को देख मुस्करा देते थे
और मैं मम्मी से लिपट
तुम्हे रुसवा देता था....
पर जाने न जाने क्यों
अब ऐसा लगने लगा है
जब पुकारता हूँ मैं तुम्हे
मुंह भर आता है जेसे
आँखों में तस्वीर
दिल में याद भर आती है !!!
आपका वो डाटना और मुस्करा देना
कभी बेइज्जती लगा करती थी ये
पर अब यादो के सुनहरे पल बन गए
उन्हें याद कर लिख लेता हु
जब भी तुमसे मिला करता हूँ
उन्हें याद कर मुस्करा देता हूँ
मै रोज अब "पापा - पापा " कहा करता हूँ
बस ........
जब भी मिले अब हम
बेटा कह मुस्करा देना .....
पापा मेरे पापा
आपका बेटा
दीपक कुमार वर्मा
पापा मैं आपको आज बहुत याद कर रहा हु, पर ये सब आपको बता नहीं पता क्योकि आप मुझे डांटने लगोगे !
आप हमेशा चाहते हैं की मैं एक पड़-लिख कर अच्छा इन्सान बनू ...................................
मैं आप से वादा करता हु की आपकी चाहत जरुर पूरी करूगां.........
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मेरे जन्म से गिन - गिन दिन निकले
कब कहूँ मैं पापा तुम्हें ?
हजारो सपने है तुमने पाले
बार बार कहा करते थे
बोल बेटा "पा------ पा"
मम्मी को देख मुस्करा देते थे
और मैं मम्मी से लिपट
तुम्हे रुसवा देता था....
पर जाने न जाने क्यों
अब ऐसा लगने लगा है
जब पुकारता हूँ मैं तुम्हे
मुंह भर आता है जेसे
आँखों में तस्वीर
दिल में याद भर आती है !!!
आपका वो डाटना और मुस्करा देना
कभी बेइज्जती लगा करती थी ये
पर अब यादो के सुनहरे पल बन गए
उन्हें याद कर लिख लेता हु
जब भी तुमसे मिला करता हूँ
उन्हें याद कर मुस्करा देता हूँ
मै रोज अब "पापा - पापा " कहा करता हूँ
बस ........
जब भी मिले अब हम
बेटा कह मुस्करा देना .....
पापा मेरे पापा
आपका बेटा
दीपक कुमार वर्मा
शनिवार, 19 जून 2010
बहुत दिनों तक गायब रहने के लिए माफ़ी
बहुत दिनों तक गायब रहने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
मै दुसरे कामो में व्यस्त था
पर मेरा दूसरा ब्लॉग उपडेट करता रहता हु
आज से इसको भी करूगां
दीपक कुमार वर्मा
मै दुसरे कामो में व्यस्त था
पर मेरा दूसरा ब्लॉग उपडेट करता रहता हु
आज से इसको भी करूगां
दीपक कुमार वर्मा
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