मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010

अब आप मानो या ना मानो
वो बन गये मेरे मेहमान
सच, सिकुड़ गया ये जहान
न थी जान, ना मैं राखी उसकी पहचान !
सुबह जगने से पहले
रात सोने के बाद
भी रहती है उसकी याद !
ऐसा तो हो नहीं सकता
शायद उनको भी
रात सोने से पहले
सुबह जगने के बाद
Ati hogi hamari   याद
मैं  janu  ना वो

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